शनिवार, 7 मई 2016

रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट से भी मुक्त हो जाता है।

रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट से भी मुक्त हो जाता है। इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करें। प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देंगे। 1. रक्षा के लिए मामभिरक्षय रघुकुल नायक | धृत वर चाप रुचिर कर सायक || 2. विपत्ति दूर करने के लिए राजिव नयन धरे धनु सायक | भक्त विपति भंजन सुखदायक || 3. सहायता के लिए मोरे हित हरि सम नहिं कोऊ | एहि अवसर सहाय सोई होऊ || 4. सब काम बनाने के लिए वन्दउँ बाल रूप सोइ रामू | सब सिधि सुलभ जपत जेहि नामू || 5. वश मे करने के लिए सुमिरि पवन सुत पावन नामू | अपने वश कर राखे रामू || 6. संकट से बचने के लिए दीन दयालु विरिदु संभारी | हरहु नाथ मम संकट भारी || 7. विघ्न विनाश के लिए सकल विघ्न व्यापहिं नहि तेही | राम सुकृपा बिलोकहि जेही || 8. रोग विनाश के लिए राम कृपा नाशहि सब रोगा | जो यहि भाँति बनहि संयोगा || 9. ज्वार ताप दूर करने के लिए दैहिक दैविक भौतिक तापा | राम राज्य नहि काहुहि व्यापा || 10. दुःख नाश के लिए राम भक्ति मणि उर बस जाके | दुःख लवलेस न सपनेहु ताके || 11. खोई चीज पाने के लिए गई बहोरि गरीब नेवाजू | सरल सबल साहिब रघुराजू || 12. अनुराग बढाने के लिए सीता राम चरण रत मोरे | अनुदिन बढ़ै अनुग्रह तोरे || 13. घर मे सुख लाने के लिए जै सकाम नर सुनहि जे गावहिं | सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं || 14. सुधार करने के लिए मोहि सुधारहिं सो सब भाँती | जासु कृपा नहिं कृपा अघाती || 15. विद्या पाने के लिए गुरू गृह गए पढ़न रघुराई | अलप काल विद्या सब आई || 16. सरस्वती निवास के लिए जेहि पर कृपा करहि जन जानी | कवि उर अजिर नचावहि बानी || 17. निर्मल बुद्धि के लिए ताके युग पद कमल मनाऊँ | जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ || 18. मोह नाश के लिए होय विवेक मोह भ्रम भागा | तब रघुनाथ चरण अनुरागा || 19. प्रेम बढाने के लिए सब नर करहिं परस्पर प्रीती | चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती || 20. प्रीति बढाने के लिए बैर न कर काह सन कोई | जासन बैर प्रीति कर सोई || 21. सुख प्रप्ति के लिए अनुजन संयुत भोजन करहीं | देखि सकल जननी सुख भरहीं || 22. भाई का प्रेम पाने के लिए सेवहिं सानुकूल सब भाई | राम चरण रति अति अधिकाई || 23. बैर दूर करने के लिए बैर न कर काहू सन कोई | राम प्रताप विषमता खोई || 24. मेल कराने के लिए गरल सुधा रिपु करहिं मिताई | गोपद सिंधु अनल सितलाई || 25. शत्रु नाश के लिए जाके सुमिरन ते रिपु नासा | नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा || 26. रोजगार पाने के लिए विश्व भरण पोषण करि जोई | ताकर नाम भरत अस होई || 27. इच्छा पूरी करने के लिए राम सदा सेवक रुचि राखी | वेद पुराण साधु सुर साखी || 28. पाप विनाश के लिए पापी जाकर नाम सुमिरहीं | अति अपार भव भवसागर तरहीं || 29. अल्प मृत्यु न होने के लिए अल्प मृत्यु नहिं कबजिहूँ पीरा | सब सुन्दर सब निरुज शरीरा || 30. दरिद्रता दूर के लिए नहि दरिद्र कोउ दुःखी न दीना | नहि कोउ अबुध न लक्षण हीना || 31. प्रभु दर्शन पाने के लिए अतिशय प्रीति देख रघुवीरा | प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा || 32. शोक दूर करने के लिए नयन बन्त रघुपतिहिं बिलोकी | आए जन्म फल होहिं विशोकी || 33. क्षमा माँगने के लिए अनुचित बहुत कहहुँ अज्ञाता | क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोउ भ्राता।। 🏻जय श्री सीताराम जय जय बजरंग बली

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें