रविवार, 29 मई 2016

*राम की तारीफ़ करूँ कैसे,*

*राम की तारीफ़ करूँ कैसे,*
*मेरे शब्दों मेँ इतना ज़ोर नहीं,*

*सारी दुनिया में जाकर ढूँढ लेना,*
*मेरे राम जैसा कोई और नहीं!!*
  
*ह्र्दय से राम सुमिरन किया तो*
*आवाज़ हनुमान तक जाएगी,*

*हनुमानजी ने जो सुन ली हमारी,*
*तो हर बिगड़ी ही बन जाएगी!!*
            
             *ll जय श्रीराम ll*

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